दलित साहित्य में हम उस साहित्य की बात करतें हैं जो समाज के उस वर्ग के विषय में लिखा जाता हैं जो सदियों तक सामाजिक जंजीरों मे जकड़े रहे, जिन्हे शिक्षा, समानता, स्वतंत्रता, सदभावना, आदि से वंचित रखा गया | सनातन धर्म का महत्वपूर्ण भाग होते हुए भी जिन्हे अपने ही धर्म मे अछूत माना गया । दलित साहित्य में इसी दशा को कुछ शिक्षित दलितो ने साहित्य के रूप मे उकेरा तथा आम जनता तक अपनी भावनाओं को लेखों, कविताओं, निबन्धों, जीवनियों, कटाक्छों, व्यंगों, कथाओं आदि के रुप में पहुंचाया |